♫ हूँ तो खफा उससे, पर जाने फिर भी क्यूँ..? न चाह कर भी उसको चाहना अच्छा लगता है,
हकीकत से हूँ दूर, यह मुझ को है पता.. पर जान के अनजान रहना अच्छा लगता है,
कायल नहीं मैं रोने का फिर भी कभी कभी, तन्हाई में कुछ देर रोना अच्छा लगता है,
वो मेरा था, वो मेरा है, वो मेरा रहेगा कुछ पल इस ख्वाब में खोना अच्छा लगता है..!!!
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